Wednesday, 16 December 2015

मामी के मुँह में मेरा लण्ड

अब मैं मेरी मामी के बारे में बताता हूँ, उनका नाम सविता है और वो 32 साल की हैं।
उनकी फिगर 32-30-34 की है और एकदम गोरी हैं।
दोस्तो, यह कहानी जनवरी 2009 की है…
मेरी मामी उस समय कुछ कार्यक्रम से उनके ससुराल आई थीं, चार दिन के लिए और सब कार्यक्रम होने के बाद वो पुणे जा रही थी, लेकिन वो अकेली थी और उनके साथ उनके दो बच्चे थे।
उनके पति यानी मेरे मामा सरकारी नौकरी में है तो वो नहीं आए थे, मेरी मामी ने मुझसे बोला – तुम हमें पुणे छोड़ आओ और कुछ दिन वहाँ रह भी लेना।
मैंने बोला – सोच के बताता हूँ, क्यूँ की मेरा कॉलेज था।
उसके बाद मामा का भी कॉल आया कि मामी को छोड़ने पुणे आ जाओ, तो फिर मैंने हाँ बोल दी।
दो दिन बाद मैं मेरी मामी के साथ पुणे चला गया।
मेरे मामा उस वक्त मुंबई में थे, नौकरी के कारण और एक दिन रहने के बाद मामा वापस चले गये।
मामा को दो लड़के थे – एक 7 साल का और एक 3 साल का।
तो दोस्तो, मेरी मामी घर में गाउन पहनती थीं, उनका बड़ा लड़का सुबह 8 बजे स्कूल जाता था और 4 बजे आता था। छोटा सिर्फ़ 3 साल का था।
मैं मेरी मामी के साथ ही पूरा दिन बात करता और टी।वी। देखता था।
सुबह मैं अक्सर देर से ऊठता था पर मामी सुबह जल्दी नहा लेती थीं।
ऐसे ही एक दिन नहाने के बाद, मामी ने मुझे उठाया और मैं जब नहाने बाथरूम में गया तो देखा कि मामी की काली पैंटी सुख रही थी…
उसी दिन दोपहर को मैंने और मामी ने खाना खाया और फिर मैं टीवी देख रहा था और मामी किचन में थीं।
दोस्तो, ना जाने मुझे क्या सूझा, मैं उठा और किचन में जा कर सीधे मामी को पीछे से कस के पकड़ लिया।
मैं सच कह रहा हूँ, मुझे पता ही नहीं चला कि उस वक्त मुझे क्या हुआ…
मैं पागलों की तरह, मामी के बूब्स दबाने लगा।
मामी बोलीं – ये क्या कर रहे हो तुम, पागल हो गये हो क्या?
मैंने कुछ सुना नहीं और बस मामी को यहाँ-वहां दबाने लगा। फिर मामी ने मुझे ज़ोर से धकेला और बोला – पागला गये हो क्या? ये सब क्या कर रहे हो?
मैंने बिना सोचे मामी को बोला – आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
फिर मामी बोलीं – तुम सच मे पागल हो गये हो।
मैंने मामी को कहा – मुझे नहीं पता, पर मुझे अभी आपके साथ सेक्स करना है… और मैंने सीधा मामी को फिर से पकड़ लिया।
मामी छुड़ाने की बहुत कोशिश कर रही थीं, पर मैंने ज़ोर से पकड़ रखा था।
मामी बोलीं – ऐसा मत कर ये सब अच्छा नहीं है।
मैंने कुछ नहीं सुना, सीधा मैंने उनके मुँह में मुँह डाल दिया और किस करने लगा और उनकी पीठ सहलाने लगा।
उनको किस करते वक्त मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, पर मामी अभी भी मना कर रही थीं।
मैंने उनको ज़ोर-ज़ोर से चूमा। मैं बेतहाशा उनके बूब्स दबा रहा था।
कुछ देर बाद मैं उनकी गाण्ड दबाने लगा। कुछ देर ऐसे ही ज़बरदस्ती करने के बाद मामी भी गरम होने लगीं थीं।
धीरे-धीरे अब वो मना नहीं कर रही थी…
फिर आख़िरकार मामी भी मेरा साथ देने लगीं थीं…
सो, अब मैंने मामी का गाउन और पेटिकोट ऊपर किया और पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत सहलाने लगा।
मामी आ… आ… आहह… उफ़… उः… कर रही थीं। कुछ ही देर में वो बहुत गरम हो गईं थीं,
अब मैंने मामी का गाउन और पेटिकोट उतार दिया। मामी बस अब क्रीम कलर की ब्रा और नेवी ब्लू कलर की पैंटी में थी।
फिर मैंने ब्रा के हुक खोल दिए और मामी के बूब्स नंगे कर दिए और ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। फिर मैंने उनके नंगे चुचों को मुँह में लिया और उन्हें चूसने लगा।
मैं अब मामी का पूरा शरीर चाट रहा था, उनकी जांगें… उनका पेट… हाथ… गला… चुचे… गाण्ड… सब कुछ।
कुछ देर बाद मैंने मामी को गोद में उठाया और बेड पर लिटा दिया… मैंने अब मेरी टी शर्ट और पैंट निकाल दी और सिर्फ़ अंडरवियर में उनके उपर लेट गया और मुँह में मुँह डाल के चूमने लगा।
क्या मस्त लग रहा था मुझे…
फिर मामी ने खुद ही अपनी दोनों टाँगे फैलाई और मैं सीधा उनकी पैंटी के उपर से ही उनकी चूत चाटने लगा।
पैंटी बिल्कुल गीली थी, बहुत ही मादक स्वाद था उनकी पैंटी का…
अब मैंने पैंटी उतार दी और देखा गीली पड़ी नंगी चूत जिसपर छोटे-छोटे बाल थे।
मैंने बिना देर किए उसके अंदर अपनी उंगली डाली और अंदर-बाहर करने लगा।
मामी को भी अब बहुत मजा आ रहा था, मैंने देर ना करते हुए सीधा मुँह चूत के ऊपर रखा और गीली नंगी चूत चाटने लगा।
चूत में से जो पानी आ रहा था, वो भी मैं लगातार चाट रहा था…
15 मिनट चूत चाटने के बाद, मैंने मामी से कहा – मामी, मेरा लण्ड मुँह में ले लो…
मामी भी मेरा लण्ड अपने हाथों से सहलाने लगी और फिर मुँह मे लेकर चूसने लगीं। मैंने अब मामी को 69 पोज़िशन में ले लिया…
मामी मेरा लण्ड चूस रही थीं और फिर से मैं मामी की गीली नंगी चूत चाट रहा था और साथ ही साथ में उनकी गाण्ड भी चाट रहा था।
भले ही मामी चुप थीं पर हम दोनों को ही बहुत मजा आ रहा था।
10 मिनट तक मामी ने मेरा लण्ड चूसा और फिर मैंने मामी को लिटाया और उनकी चूत मे लण्ड डालने लगा।
धीरे-धीरे धक्के दे रहा था और लण्ड मामी की चूत में जा रहा था, बहुत ही गरम हो गई थी, मामी की चूत…
4-5 ज़ोर के धक्के देने के बाद मेरा लण्ड पूरा अंदर घुस गया और फिर मैं लण्ड को मामी की गीली चूत में अंदर-बाहर करने लगा।
मामी भी सिसकारियाँ ले रहीं थीं। कुछ ही देर में मामी भी ज़ोर-ज़ोर से अपनी कमर को ऊपर-नीचे करने लगीं।
फिर उन्होंने मेरी कमर को पकड़ लिया।
मैं लगातार धक्के दे रहा था और मामी मेरी पीठ में नोच रही थीं, मुझे दर्द हो रहा था जिससे मैं ज़ोर-ज़ोर से मामी की चूत मे लण्ड अंदर-बाहर कर रहा था। करीब बीस मिनट के बाद मामी की चूत में से गरम-गरम पानी आया और उसके दो मिनट में मैंने भी मेरा रस, मामी की चूत मे छोड़ दिया…
फिर काफ़ी देर मैं ऐसे ही पड़ा रहा, मामी के ऊपर…
उस दिन रात को मैं ने मामी के साथ पाँच बार सेक्स किया…
आज भी मुझे जब मौका मिलता है तब मैं और मामी सेक्स करते है।

हल्की भूरे रंग की झांटों में गुलाबी रंग की कसी हुई चूत 2

मैं डरता हुआ अंदर गया ये सोचते हुए की ना जाने क्या करेगी ये।
वो बोली – बैठो मामा।
मैं शर्म से अपना सर झुका कर बोला – आई एम सॉरी।
वो झट से मुझसे चिपक कर किस करते हुए बोली – मामा, आई लव यू और फिर से बेतहाशा किस करने लगी।
मैं थोडा हडबडा गया, लेकिन उसको ऐसा चिपके देख मैं उसकी पीठ सहलाने लगा। उसके जकड़ने से उसके मम्मे मेरे सीने में चुभ रहे थे।
मैंने भी उसे और कस कर जकड लिया, वो मेरी गर्दन को चुमते हुए मेरा टी-शर्ट खींचने लगी। एक झटके में उसने मेरी टी-शर्ट उतार दी, फिर मेरे सिने को चूमने-चाटने लगी।
दोस्तो, एकदम छीनाल के जैसे मेरे छोटे-छोटे मम्मे को काटने लगी।
आख़िर मैंने कहा – भांजी, तुम क्या कर रही हो?
उसने कुछ जवाब नहीं दिया और मेरे होंठों को चूमने-चूसने लगी।
मैंने भी सोचा, मैया-चुदाये दुनियादारी और मैं भी अब उसे चूमने लगा।
पाँच-दस मिनट चूमने-चाटने के बाद उसने कहा – मामा, मैं कब से तुम्हारे लिए तरस रही हूँ, तुम्हें बहुत चाहती हूँ… क्या मुझे प्यार करते हो?
मैंने उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर देखते हुए कहा – आई लव यू…
वो उछल कर मेरे होंठों को बेतहाशा चूमने लगी, अब तक मेरा पूरा कण्ट्रोल खो गया था।
मैं उसके नाईटी के ऊपर से उसके मम्मे दबाने लगा।
मेरा लण्ड पूरा चड्डी से बाहर आने को हो रहा था, अब वो बोली – मामा, आप नाराज न हो तो एक बात कहूँ?
मैंने कहा – बोलो।
वो बोली – जब आप दरवाजा खटखटाए थे तो मैं आने वाली थी, दरवाज़ा खोलने… लेकिन आपने आवाज़ दी तो मैंने सोचा, आज आपको अपने दिल की बात बोल के रहूंगी… और यही सोच कर सीधा बाथरूम में चली गई और बाथरूम मैं जाकर कपडे खोलकर नंगी हो गई और ब्लू-फिल्म लगा दी… आप जब आकर टंकी मैं बैठे तो मैं जानबूझकर अपनी आवजें निकालने लगी, ताकि आप सुनो… आप जब मेरी और आये और चिपक कर अपना लण्ड निकाला, मुझे लगा आप वहीं मेरे साथ कुछ करोगे… लेकिन जब आप ने कुछ नहीं किया, अपने ही हाथ से अपना लण्ड हिलाने लगे तो मैंने जानबूझकर आप की तरफ मुँह करके अपनी टाँगें उठा दी ताकि तब आप कुछ करो… लेकिन आप तो पता नहीं कहाँ खोये थे… अपनी आँख बंद करके जोर-जोर से अपने लण्ड को तकलीफ दिए जा रहे थे… वैसे मामा, आपका लण्ड बहुत तगड़ा है…
मैं उसके मुँह से ऐसी बातें सुन कर भोचका रह गया।
वो बोली – मुझे आपके लण्ड के दर्शन करना है।
मैंने कुछ नहीं कहा।
लेकिन रंडी की आग में आज पूरी आग लगी थी, उसने तुरंत मेरे पैंट की हुक खोल कर मुझे नंगा कर दिया और मेरे लण्ड को सहलाने लगी।
मेरा लण्ड एकदम तन कर उसके माथे को छु रहा था।
वो बोली – मामा, मैं इसे किस करूँ?
मेरे बिना कुछ बोले वो उसे चूमने लगी। मुझे तो जैसे जन्नत मिल गई।
अब मैं उसके नाईटी के ऊपर से उसके मम्मे दबाने लगा और वो मेरे लण्ड को चाटने लगी, चाटते हुए उसने कहा – मामा, ये मेरे मुँह मैं अजाएगा क्या?
अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने चुप्पी तोड़ कर उससे कहा – छीनाल की औलाद, ये बता पहले तू ये सब पहले कितनी बार कर चुकी है।
वो बोली – मामा, क्यूँ जबरन नाराज़ हो रहे हो, ऐसा करते ब्लू-फिल्म मैं देखा है और तुम्हारे सिवा मैं किसी के बारे में नहीं सोचती।
मैंने कहा – ले-ले फिर।
बिना देर किए वो लण्ड के सुपाड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी, जैसे कोई बच्चा बर्फ के गोले को चूस रहा हो।
कुछ देर चूसने के बाद वो सुपाड़ा बाहर निकाल कर बोली – ओ मामा, ये तो बहुत बड़ा है… पूरा नहीं जा रहा है।
मैं बोला – कोशिश जारी रख, भोसड़ी वाली… सब जायेगा।
उसने फिर से चूसना चालु किया, मैंने जोश मैं आकर एक धक्का दे दिया और मेरा लण्ड उसके गले तक चला गया।
वो चिल्लाना चाहती थी, मगर चिल्ला नहीं पाई… उसका चेहरा पूरा लाल हो गया, ये देख मैं हडबडा गया और अपना लण्ड बाहर निकाल दिया। वो ख़ासने लगी।
मैं बोला – क्या हुआ?
वो थोडा साँस लेकर बोली – मादार-चोद मामा, तू तो मुझे मार ही डालता, इतनी जोर से काहै अन्दर डाले, मेरी सांस रुक गई थी बहन-चोद।
मैंने फिर उसे सॉरी कहा और कहा अब ऐसा नहीं करूँगा। वो फिर मुँह में लेकर चूसने लगी।
अब मैं हल्का-हल्का उसके मुँह में अपने लण्ड को धक्का देने लगा, क्या मस्त चूस रही थी यार, वो मेरा… पाँच मिनट में निकल गया। मेरे और उसके चेहरे में एक अजीब सी खुशी थी।
फिर मैंने उसकी नाईटी उतार दी और वो बिलकुल नंगी मेरे सामने थी, उसने नाईटी के अलावा कुछ नहीं पहना था।
लोक-लाज की मैया-चोद कर मैं उसके मम्मे पर टूट पड़ा और जोर-जोर से चूसने लगा।
उसे दर्द हुआ तो वो बोली – मामा, आराम से आज पूरा दिन हमारे पास है… हड़बड़ाओ मत।
मैंने हाँ में सर हिला कर उसके पिंक निप्पल को मुँह मैं लेकर चूसना जारी रखा।
वो आह… आह… उफ़… इस… ईईइ… चूस मेरे भांजी-चोद मामा… कर आवाज़ निकालने लगी।
मैं धीरे से हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत को सहलाने लगा। वो पूरे जोश के साथ मेरे होंठों पर टूट पड़ी और मेरे होंठो को चूसने और काटने लगी।
मैं बहुत जोर-जोर से उसके मम्मे दबाता और चूत को रगड़ता। वो सिहर सी गई और बोली – मामा, अब सहन नहीं होता… लण्ड को डाल दो मेरी प्यासी चुड़ाकड़ चूत में।
मैंने कहा – ठीक है, कह कर उसे वही ज़मीन पर लिटा दिया और उसकी चूत को एक बार चूम दिया। वो उतने मैं ही अकड़ कर झरने लगी, मैंने फिर उसे अपना लण्ड पकड़ा दिया… वो बिना कुछ बोले उसे सहलाने लगी।
मैं अब उसकी चूत सहलाने लगा वो ओह मामा… तेरी माँ की चूत… कहने लगी, उसकी ऐसी आवाज़ से मैं जल्दी ही तैयार हो गया।
अब मैं उसकी चूत की तरफ आकर बैठ गया, उसकी टाँगें अपने कंधे में डाल कर अपने लण्ड से उसकी चूत को सहलाने लगा।
वो तड़प कर बोली – मादार-चोद बता डालेगा या नहीं…
उसकी चूत अभी भी पानी छोड़ रही थी, मैंने चूत के छेद में अपना लण्ड पकड़ कर डालना चाहा तो लण्ड फिसल गया।
मैं समझ गया कि रंडी की औलाद की अभी नथ नहीं उतरी है।
मैंने थोड़ा सा चूत को पोंछ कर अपना लण्ड उसकी चूत की छेद में टिका कर एक जोरका झटका दिया, वो एक दम से चिल्ला उठी।
मैंने जैसे-तैसे उसका मुँह अपने मुँह मैं लेकर चुप किया, वो रोने लगी थी।
फिर हम थोड़ी देर ऐसे ही चूमा-चाटी करते रहे, वो थोडा शांत हुई तब मैंने फिर अपने घुटनों पर आकर देखा तो सिर्फ सुपड़ा ही अंदर गया था।
मैंने ऐसे ही लण्ड को रखे हुए अपनी उंगली से उसके चूत के उपरी भाग को सहलाने लगा। उसे ऐसा करना अच्छा लग रहा था।
जब वो थोडा उछलने लगी तो मैंने उसके ऊपर झुक कर उसका हाथ पकड़ा और उसके मुँह में मुँह रख कर एक और जोर का धक्का दिया।
वो चिल्ला तो नहीं पाई, मगर छुटने की कोशिश करने लगी। मैं फिर मौका गवाए बिना धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा, थोड़ी देर बाद उसे भी मजा आने लगा और वो फिरसे वैसी आवाज़ें निकालने लगी – आह… उम… ओ मामा और जोरसे…
अब मेरा लण्ड थोडा आसानी से अंदर-बाहर होने लगा।
वो आ… आ… उह्ह्ह… मामा, आई लव यू… कहने लगी।
मैं उसे जोर-जोर से चोदने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी। कुछ देर बाद उसका शरीर अकड़ने लगा। वो और जोर-जोर से अपनी गांड उछालने लगी और मेरे पीठ को पकड़ कर अपनी और खींचने लगी।
थोड़ी देर में उसका पानी निकल गया और वो मुझे चूमने लगी। मेरा काम नहीं हुआ था, इसलिए मैंने ऐसे ही उसकी चूत मैं लण्ड डाले हुए उसे अपने ऊपर कर दिया, वो उछलने लगी और मैं उसके मम्मे दबाते हुए उसे चोदने लगा।
वो फिर जोश मैं आकर उछलने लगी, अब मेरा भी शरीर अकड़ने लगा और उसे अपनी और झुका कर और जोर-जोर से अपना लण्ड उसकी चूत मैं डालने लगा, करीब २० मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों एकसाथ झड गए और ऐसे ही सो गए।
करीब एक घंटे बाद नींद खुली तो मैंने उसे उठाया, मेरा लण्ड वैसे ही उसके चूत में फसा हुआ था।
जब बाहर निकाला तो उसका खून मेरे लण्ड में चिपका हुआ था और नीचे ज़मीन पर खून और वीर्य फेला हुआ था।
उसका चेहरा एकदम निखर गया था, मैंने उसे प्यार से माथे पर चूम। उसे उठा कर बाथरूम में ले गया।
दोनों फ्रेश हुए। वो चल नहीं पा रही थी तो मैंने उसे उसके बिस्तर पर लेटा दिया और बोला – अभी आराम करो, रात को मैं आता हूँ।
उसने हाँ में सिर हिलाया और मेरे माथे को चूम कर आई लव यू बोला – मैं उसके घर से निकला और अपने घर चले गया।
उसके बाद हमने रात मैं ब्लू-फिल्म देख-देख कर अलग-अलग तरीके से चुदाई की…

मम्मी और दीदी के बिस्तर में 8

दीदी भी हम दोनों के सामने बैठ गई। फिर माँ मेरे सुपारे को हाथ में लेकर बोलीं- ठीक है.. अब कुछ दिन तक रगड़ना-वगड़ना नहीं.. लंड खड़ा होता है तो कोई बात नहीं… थोड़ी देर लंड को सहलाएगा तो ठीक हो जाएगा..। “लेकिन माँ ज्यादा तनने के कारण मेरे लंड में अब बहुत खुजली हो रही है।” मैंने लंड माँ की तरफ बढ़ाते हुए कहा।
तो माँ बोलीं- ठीक है.. मैं इसका पानी झाड़ देती हूँ.. फिर ये थोड़ा नरम हो जाएगा.. नहीं तो चमड़ा खिंचने से और दर्द होगा।
मैंने कहा- क्या.. अभी तो माँ मेरे चूतड़ पर हाथ रख कर अपनी तरफ करते हुए लंड को दूसरे हाथ में लेकर बोलीं- तो क्या हुआ.. मेरे सामने कैसी शरम और अब तो दीदी के सामने भी शरमाने की कोई ज़रूरत नहीं है।
ये बात माँ ने उत्तेजित होकर मुझे दीदी की बुर दिखाते हुए कहा- ये देख वीनू की बुर का छेद तो लंड लेने के लिए खुद ही खुला हुआ है..।
फिर मैं पलंग पर लेट गया.. माँ मेरे कमर के पास बैठी थीं और मेरा सर दीदी की जांघों के पास था.. जिससे दीदी की बुर की फैली हुई फांकें अब मुझे एकदम नज़दीक से दिखाई दे रही थीं।
माँ दीदी से बोलीं- ज़रा गरी का तेल देना।
दीदी ने तेल दिया।
फिर माँ ने तेल हाथ में लगा कर मेरे सुपारे पर लगाया और मेरे लवड़े की मुठ मारने लगीं और मैं अपने एक हाथ से माँ की बुर के छेद में धीरे-धीरे ऊँगली करने लगा।
माँ और दीदी बहुत ज़्यादा उत्तेजित थीं जिससे उनकी बुर और गाण्ड का छेद खुल और बंद हो रहा था।
तभी दीदी अपनी बुर में अपनी ऊँगलियाँ डालते हुए माँ से बोली- माँ हाथ से ऐसे पकड़ कर करोगी तो लंड में फिर घाव हो जाएगा।
माँ भी सर हिलाते हुए बोलीं- हाँ.. तू सही कह रही है.. पर क्या करूँ इसको झाड़ना तो पड़ेगा ना..।
तो दीदी जो एकदम गरम हो गई थी.. अपनी बुर दिखाते हुए माँ को इशारा करके बोली- ऐसे करो ना..।
तो माँ अपनी बुर को फैलाते हुए बोलीं- हाँ.. तू सही कह रही.. मैं इसके लंड पर बैठ कर इसका लंड अपनी बुर में डाल लेती हूँ और ऊपर-नीचे करती हूँ.. मेरी बुर में लंड जाते ही झड़ जाएगा.. पर चुदाई में मेरी इन बड़ी-बड़ी पुत्तियों से रगड़ कर कहीं फिर से छिल ना जाए?
एक काम करती हूँ.. इसका सुपारा मुँह में लेकर हल्के-हल्के से चूस कर झाड़ देती हूँ।
ये कह कर तुरंत अपने चूतड़ दीदी की तरफ उठाते हुए मेरे लंड पर झुक गईं और लंड चूसने लगीं।
लेकिन मैंने अपनी ऊँगली माँ की बुर से नहीं निकाली और दूसरे हाथ से बुर की पुत्तियों को फैलाते हुए और तेज़ी से अन्दर-बाहर करने लगा।
तभी ये देख कर दीदी ने भी अपना कंट्रोल शायद खो दिया और झुक कर माँ के चूतड़ों को अपने हाथों से फैला कर माँ की चूतड़.. गाण्ड और बुर का छेद चाटने लगी।
जैसे ही दीदी ने माँ की 4 इंच लंबी और 2 इंच चौड़ी पुत्तियों को अपने मुँह ले लिया।
माँ ने भी अपनी जाँघों को और फैला दिया और उसके मुँह पर अपनी बुर को दबाते हुए मेरे लौड़े को चूसने लगीं।
मैं भी इसी इंतजार में था और अपनी ऊँगलियाँ माँ की बुर से निकाल कर दीदी के चूतड़ जो मेरी तरफ थे, अपने हाथ से फैला कर उसकी गाण्ड और बुर में ऊँगली डाल कर चोदने लगा।
दीदी भी अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर अपनी बुर में ऊँगली डलवा रही थी कि मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया और मैंने माँ से कहा- माँ एक काम करो.. तुम थोड़ा सा आगे बढ़ जाओ.. जिससे दीदी मेरे और तुम्हारे बीच में आ जाएगी.. फिर तुम मेरे लंड को चूसना.. दीदी तुम्हारी बुर चाटेगी और मैं दीदी की बुर चाटूंगा।
तो माँ और दीदी तुरंत उसी तरह लेट गईं और फिर हम तीनों एक-दूसरे की बुर और गाण्ड चाटने लगे।
मैंने अपनी एक ऊँगली दीदी की गाण्ड में थूक लगा कर डाल दीं और उसकी बुर को मुँह में भर लिया।
कुछ ही देर में मैं अपना लंड माँ के मुँह में और अन्दर घुसाते हुए दीदी की बुर को पूरा मुँह भर कर चाटते हुए झड़ गया।
माँ दीदी को दिखाते हुए मेरे पूरे वीर्य को जीभ से चाट कर पीने लगीं।
जब उसने मेरा लंड पूरा सुखा दिया.. तो सीधी होकर आराम से लेट गईं और दीदी से अपनी बुर चटवाने लगीं और फिर झड़ कर शांत हो गईं।
इधर मैंने भी दीदी की बुर चाट कर उसे झाड़ दिया था।
थोड़ी देर लेटे रहने के बाद हम तीनों उठ कर बैठ गए।
मेरा लंड उस समय सिकुड़ा हुआ था तो दीदी माँ को मेरा लंड दिखाते हुए बोली- अरे वाहह.. माँ तुम्हारा ये चूसने वाला तरीका तो ज्यादा बढ़िया था.. भाई को झाड़ भी दिया और लंड पर भी कुछ नहीं हुआ।
माँ बोलीं- हाँ.. पर तूने तो आज कमाल कर दिया.. ओह क्या बुर चाटी है..।
तो दीदी बोली- हाँ.. माँ मुझे भी अच्छा लगा।
माँ बोलीं- चल अच्छा है.. अब जब इसका लंड थोड़ा ठीक हो जाए.. तो तुझे भी इसे अपनी बुर में लेने में
मज़ा आएगा.. तब तक अपना छेद फैला ले।
ये कह कर माँ ने मुझे आँख मारी.. तो हम तीनों हँसने लगे और हम लोग इसी तरह थोड़ी देर तक आपस में हँसी-मज़ाक करते रहे और चाय पी.. पर दीदी की बुर देख-देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और झटके लेने लगा.. तो मैं अपना लंड हाथ में लेकर दीदी और माँ को दिखाते हुए धीमे-धीमे मुठ मारने लगा।
ये देख कर दीदी माँ से बोली- माँ देखो भाई का लंड फिर से फूल गया है.. लगता है इसका फिर से झड़ने का मान कर रहा है।
तो माँ बोलीं- मैं तो अब थक गई.. हाँ.. तुम दोनों को जो करना है.. करो मैं सिर्फ़ लेट कर देखूँगी।
ये कह कर माँ लेट गईं.. उसकी कमर मेरी तरफ थी और जाँघें फैली हुई थीं जिससे उसकी मेरी दोनों हथेलियों जितनी बड़ी और चिकनी बुर एकदम खुल गई थी और उसकी लंबी और चौड़ी पुत्तियाँ बाहर निकल कर लटकी हुई थीं।
ये देख कर मैं अपने एक हाथ से उन्हें मसलने लगा… ये देख कर दीदी जो बड़ी ललचाई नज़रों से मेरे लंड को देख रही थीं.. झुक कर मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया।
ओह क्या मस्त लग रहा था.. दीदी गपागप मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसे जा रही थी.. और मैं भी अपनी ऊँगलियां माँ की बुर में तेज़ी से अन्दर-बाहर करने लगा।
माँ भी धीरे-धीरे अपनी कमर ऊपर उछाल कर चुदवा रही थीं और खूब ज़ोर से हिलते हुए झड़ गईं।
तभी मैं अपना लंड दीदी के मुँह में अन्दर तक घुसड़ेते हुए झड़ गया।
दीदी भी मेरे लंड का पानी पूरा चाट गई.. फिर हम सब थक कर सो गए। अब ये हमारे घर का नियम बन गया था और हम तीनों जन हर काम साथ-साथ करते.. बाथरूम साथ जाते.. कोई लेट्रीन करता.. कोई मंजन करता.. कोई नहाता.. कभी-कभी हम सब एक-दूसरे को अपने हाथों से ये काम करवाते। मंजन करते और नहलाते और जब मौका मिलता अपनी बुर और लंड एक-दूसरे में घुसाए रहते।
तो दोस्तों ये थी हमारे घर की सच्चाई।

हल्की भूरे रंग की झांटों में गुलाबी रंग की कसी हुई चूत 1

मैंने भी काफी सोचने के बाद मेरी एक कहानी लिखने की ठानी। ये मेरे और मेरे पड़ोस में रहने वाली मुँह बोली दीदी की लड़की की कहानी है, जिसे मैं भांजी कहता हूँ।
तो, अब कहानी पर आता हूँ…
मैं करीब १८-१९ साल का था तब की ये घटना है। भांजी की उम्र तकरीबन १७ थी, वो देखने में बहुत ही खुबसूरत और कामुक थी। उसका फिगर ३६-३०-३४ था।
मेरा एक दोस्त बताता था कि वो मुझे बहुत लाइन देती है, मेरे बारे में बहुत पूछती है, पर मैं ध्यान नहीं देता था।
एक दिन की बात है… मैं रिंकी के घर, ओ सॉरी मैं तो आपको बताना ही भूल गया, भांजी का नाम रिंकी है। तो मैं उसके घर कुछ काम से गया, दरवाजा खटखटाया तो किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। दरवाजा लॉक नहीं था तो मैं खोल कर अंदर चला गया।
अंदर आवाज लगाई तो कोई जवाब नहीं आया, मैंने समझा कोई नहीं है घर में। यह सोच कर मैं चुपचाप बैठ गया।
थोड़ी देर बैठने के बाद मैं उनके बाड़ी साइड जाने लगा। वहां एक टंकी है, उसके बगल में एक बाथरूम है, बिना दरवाजे का।
मैं वहीं टंकी के पास बैठ गया, थोड़ी देर बैठने क बाद मुझे कुछ आवाज़ें आईं, बाथरूम के साइड से।
कोई वहाँ है, यह सोच कर मैं वहाँ जाने के लिए हुआ तो थोड़ी अजीब टाइप की आवाज़ें आने लगीं।
मैं चुपचाप बाथरूम के पास पहुँच कर बगल में छिप गया। आवाज कुछ आह… उफ़… ईईसस… करके आ रही थी। मैंने झाँक कर बाथरूम के अंदर देखा तो अचम्भित हो गया। रिंकी पूरी नंगी होकर मोबाइल मैं ब्लू-फिल्म देख-देख कर अपने चुचे और अपनी बूर को जोर से रगड़ रही है और बिलकुल ब्लू-फिल्म के जैसे आह… आहह… कर रही है।
ये सब देख मेरा लण्ड मेरे पैंट से बाहर आने को बेताब होने लगा, मैं अपना लण्ड पैंट के ऊपर से ही मसलने लगा।
फिर रिंकी आँख बंद करके मेरी और मुँह कर अपनी चूत सहलाने लगी।
दोस्तो, मैं उसके चुचे और बूर को देखता ही रह गया। क्या बडे-बडे मम्मे थे बहन की लौड़ी के, एकदम गोल तने हुए ३६ के और गुलाबी कलर के उसके वो कातिल निप्पल।
जी तो कर रहा था, अभी अपने मुँह में लेकर चूस लूँ, पर क्या करता रिश्ते में भांजी हो रही थी, तो चुपचाप मुँह बना कर बैठना पड़ा।
पर वो रंडी की बच्ची रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी, अब वो धीरे से एक टांग को दीवार पर रख कर अपनी चूत फैला कर रगड़ने लगी। बस अब मुझसे रहा नहीं गया, मैंने अपना आठ इंच का लण्ड निकाला और सहलाने लगा।
उसकी चूत को देख मन ही मन उसे चोदने लगा। क्या चूत थी उसकी, हल्की भूरे रंग की झांटों में गुलाबी रंग की कसी हुई चूत।
अब मैं अपना लण्ड जोर-जोर से हिलाने लगा। दो मिनट में मेरा पानी निकल गया।
उसके बाद मैं चुपचाप वहाँ से सीधा उनके आंगन मैं आकर बैठ गया।
आधे घंटे बाद वो टावेल लपेट कर अंदर आई, तो मुझे आंगन मैं बैठा देख वो बोली – मामा, आप कब आये?
मैं बोला – बस अभी आया हूँ… और बस एक टक उसकी तरफ देखता रहा।
वो मुझे ऐसे घूरते देख बोली – क्या हुआ मामा, कहाँ खो गए।
अचानक ही मेरे मुँह से निकल गया – तुझ में।
वो कुछ नहीं बोली और मुस्करा के अपने कमरे में चली गई।
जाते जाते वो बोली – मामा, अंदर बैठ जाओ।
मैं उठ कर उनकी रसोई के पास कुर्सी पर बैठ गया।
वो अंदर कपड़े पहन रही थी। कपड़े बदलते-बदलते उसने पूछा – और क्या हाल-चाल है मामा?
मैंने कुछ जवाब नहीं दिया।
थोड़ी देर में वो कमरे से बाहर निकली, वो नाईटी पहनी हुई थी…
मैंने उससे पूछा – दीदी कहाँ हैं?
तो वो बोली – बाहर गई हैं, कल सवेरे आएँगीं।
मैंने कहा – चलो ठीक है, मैं चलता हूँ।
जैसे ही मैं जाने लगा वो बोली – मामा, एक बात बताओ, आप बाड़ी मैं आये थे ना?
दोस्तो मैं एकदम अचंभित हो गया और डर कर कहा – मैं… मैं… नहीं तो…
वो बोली – झूठ नहीं बोलो… मैंने आपको देखा था।
मैंने चुपचाप अपना सिर झुका लिया।
फिर वो बोली – मामा, दो मिनट के लिए अंदर आओ।
मैं डरता हुआ अंदर गया ये सोचते हुए की ना जाने क्या करेगी ये।
वो बोली – बैठो मामा।
मैं शर्म से अपना सर झुका कर बोला – आई एम सॉरी।
दोस्तो, मैं आप को बता नहीं सकता मेरी धड़कने रुकने को थीं।

गेंदामल हलवाई का चुदक्कड़ कुनबा-33

शोभा बिस्तर से नीचे उतरी और अपना पेटीकोट पहन बाहर चली गई.. रतन ने भी अपनी चड्डी ऊपर की और लेट गया.. दिन में दो बार झड़ने के कारण रतन को जल्द ही नींद आ गई।
उधर शोभा के मन में तूफान उठा हुआ था।
वो इस सारी घटना का खुद को ज़िम्मेदार मान रही थी, उसने मन ही मन सोच लिया था कि आज जो हो गया, वो फिर दोबारा कभी नहीं होने देगी।
अपनी चूत साफ़ करने के बाद शोभा जब कमरे में आई, तब तक रतन सो चुका था।
शोभा ने दरवाजे बंद किए और रतन की तरफ पीठ करके सो गई।
करीब आधी रात के 2 बजे अचानक से शोभा की नींद टूटी.. उसे अपनी चूत पर कुछ रेंगता हुआ महसूस हुआ, जिसे महसूस करके शोभा की आँखें पूरी तरह खुल गईं।
कमरे में अभी भी लालटेन जल रही थी।
एक बार उसने उस तरफ देखा, जहाँ पर रतन लेटा हुआ था, पर रतन अपनी जगह पर नहीं था।
तभी उसके बदन में एकदम से सिहरन सी दौड़ गई।
उसे अपनी चूत के छेद पर कुछ गरम सा अहसास हुआ और शोभा को समझते देर ना लगी कि ये मखमली और गरम स्पर्श रतन की जीभ का है।
शोभा ने एकदम चौंकते हुए अपना सर उठा कर अपनी फैली हुई टाँगों के बीच में देखा.. काकी के बदन में हरकत महसूस करते ही, रतन ने भी अपने मुँह को चूत से हटा लिया और शोभा के चेहरे की ओर देखने लगा।
शोभा की आँखों में नींद और मस्ती की खुमारी भरी हुई थी।
शोभा ने कुछ बोलने के लिए अभी मुँह खोला ही था कि रतन ने फिर से काकी की चूत के छेद पर अपना मुँह लगा दिया।
‘आह रतन..’ शोभा के मुँह से मस्ती भरी हुई धीमी सी आवाज़ निकाली और उसकी आँखें फिर से बंद हो गईं।
रतन ने अपने दोनों हाथों से उसकी जाँघों के नीचे से घुटनों से पकड़ कर उसकी टाँगों को मोड़ कर ऊपर उठा दिया।
शोभा की गदराई हुई जाँघें एकदम फ़ैल गईं।
उसकी चूत का गुलाबी छेद अब रतन के आँखों के सामने नुमाया हो गया।
रतन अपनी चाहत भरी नज़रों से उसकी चूत की लबलबा रहे छेद को देख रहा था और अपनी जीभ को बाहर निकाल जीभ के नोक को उसकी चूत की फांकों को फैला कर चूत के गुलाबी हिस्से को चाट रहा था..
शोभा बिस्तर पर लेटी हुई मचल रही थी, उसको समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर वो रतन को कैसे रोके..
क्योंकि रतन से ज्यादा उसकी चूत लण्ड लेने के लिए मचल रही थी।
फिर अचानक से शोभा को अपनी चूत पर रतन की जीभ का महसूस होना बंद हो गया.. शोभा ने अपनी आँखें खोल कर देखा.. तो रतन उसके ऊपर झुका हुआ था।
शोभा की चूत का कामरस उसके होंठों पर लगा हुआ था और वो अपने होंठों को शोभा के होंठों की तरफ बढ़ा रहा था।
शोभा ने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया।
जिससे रतन के होंठ शोभा के सेब जैसे लाल गालों से आ टकराए और वो अपनी काकी के लाल गालों को चूमने लगा..
नीचे उसका लण्ड काकी की चूत की फांकों से बार-बार टकरा रहा था।
जैसे वो काकी की चूत को अपने अन्दर लेने के गुज़ारिश कर रहा हो, जिससे महसूस करके शोभा ना चाहते हुए भी फिर से मदहोश हुए जा रही थी।
जब रतन ने देख कि उसके काकी अपने होंठों को उसके होंठों से बचाने की कोशिश कर रही है, तो उसने भी कोई ज्यादा ज़ोर नहीं दिया और झुक कर एक झटके में उसके ब्लाउज के हुक्स खोल दिए और काकी की एक चूची को मुँह में जितना हो सकता था, भर लिया।
रतन की गरम जीभ अपने एक इंच लंबे और मोटे चूचुक पर महसूस करते ही.. शोभा एकदम से मदहोश हो गई।
उसके पूरे बदन में बिजली की सरसाहरट कौंध गई।
शोभा के बदन के रोम-रोम में मस्ती की लहर दौड़ गई।
‘आह रतन हट ना..’ शोभा ने रतन से सिसयाते हुए कहा..पर रतन पूरी लगन के साथ उसके चूचुक को चूसने लगा।
उसका लण्ड पूरी तरह तना हुआ किसी लोहे की रॉड की तरह काकी की चूत की फांकों पर रगड़ ख़ाता हुआ अन्दर घुसने का रास्ता खोज रहा था।
जब बीच में उसका लण्ड शोभा की चूत की फांकों को रगड़ खा कर उसकी चूत के छेद से रगड़ ख़ाता।
तो शोभा के बदन में काम ज्वाला भड़क उठती।
इसी उथल-पुथल में रतन का तना हुआ लण्ड खुद ब खुद ही उसकी चूत के छेद पर आ टिका।
अपने भतीजे के लण्ड को अपनी चूत के छेद पर महसूस करके शोभा एकदम से मचल उठी और उसका अपनी कमर और गाण्ड पर काबू ना रहा।
काम-विभोर होकर शोभा की गाण्ड ऊपर की ओर उठने लगी और रतन के लण्ड का सुपारा शोभा की चूत के छेद के अन्दर सरकने लगा।
जैसे ही शोभा की चूत के छेद में रतन के लण्ड का सुपारा घुसा, शोभा का पूरा बदन मस्ती में काँप गया।
उसने अपने होंठों को अपने दाँतों से काटते हुए मस्ती भरी सिसकारियाँ भरना शुरू कर दीं।
शोभा ने रतन की पीठ पर तेज़ी से अपने दोनों हाथ घुमाते हुए कहा- आह्ह.. रतन ओह डाल दे..अपना लण्ड अपनी काकी की फुद्दी में आह्ह.. मेरी जान…
शोभा अभी भी लगातार अपनी गाण्ड को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठा रही थी और रतन का लण्ड अपनी काकी की चूत में धीरे-धीरे अन्दर बढ़ रहा था।
काकी की चूत ने एक बार फिर से अपने भतीजे के लण्ड का चूम कर स्वागत किया और चूत ने अपनी दीवारों के बीच लण्ड के सुपारे को जकड़ लिया।
रतन अपनी काकी को एक बार से चुदाई के लिए तैयार देख कर जोश में आ गया और अपनी पूरी ताक़त से जोरदार झटका मारा।
रतन का बाकी का लण्ड भी शोभा की चूत में समा गया।
अपने भतीजे के इस जोरदार धक्के से शोभा का पूरा बदन हिल गया।
उसके होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई और बदन में कामवासना और भड़क उठी।
शोभा ने रतन के चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए कहा- आहह.. रतन तू ऐसा क्यों कर रहा है, तुमने मुझसे आख़िर ये पाप करवा ही दिया।
रतन- नहीं काकी.. मैं तो आप को प्यार करता हूँ।
रतन की बात सुन कर शोभा ने उसके होंठों को अपने होंठों में भर लिया और दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूसने लगे।
नीचे रतन धीरे-धीरे अपने लण्ड को काकी की चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था और लगातार उसके होंठों को चूसते हुए उसकी चूचियों को दबा रहा था।
शोभा भी अपनी जाँघें पूरे खोले हुए, अपनी गाण्ड को धीरे-धीरे ऊपर की और उछाल कर रतन का लण्ड ले रही थी।
कामवासना ने उन दोनों को रिश्ते को ताक पर रख दिया और शोभा को अपनी जवानी की आग को शांत करने के लिए एक जवान लण्ड मिल गया था।
रतन धीरे-धीरे इस खेल में अब माहिर होता जा रहा था.. अब कभी धक्का मारते वक़्त अगर उसका लण्ड अगर काकी की चूत से बाहर भी जाता, तो वो बिना पलक झपकाए अपने लण्ड को दोबारा काकी की चूत की गहराईयों में उतार देता।
तो दोस्तो, यह था.. रतन और शोभा की जिंदगी का इतिहास.. जो अब रज्जो के लिए नासूर बन गया था।
रज्जो अपनी माँ-बाप की ग़रीबी के चलते अपने आप को बेसहारा महसूस कर रही थी।
दूसरी तरफ राजू जैसे स्वर्ग में पहुँच गया था। ना किसी काम की चिंता, ना कोई फिकर..
सुबह-सुबह जब राजू उठा तो उसने देखा कि कुसुम बिस्तर पर एकदम नंगी उल्टी लेटी हुई थी, उसके और राजू के ऊपर रज़ाई पड़ी थी।
राजू कुसुम की तरफ पलटा और कुसुम की गाण्ड को सहलाने लगा, जिससे कुसुम भी जाग गई।
उसने राजू के हाथ को अपनी गाण्ड पर रेंगता हुआ महसूस किया, तो उसके होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई।
उसने अपनी खुमारी भरी आँखों को खोल कर राजू की तरफ मुस्कुराते हुए देखा।
‘कब उठे तुम?’ कुसुम ने राजू से पूछा।
‘अभी थोड़ी देर पहले..’ ये कहते हुए राजू कुसुम के ऊपर आ गया।
कुसुम उल्टी लेती हुई थी.. जिसके कारण राजू का लण्ड कुसुम की गाण्ड की दरार में जा धंसा।
राजू के गरम लण्ड को अपनी गाण्ड के छेद पर महसूस करके कुसुम मदहोश हो गई।
‘आह.. क्या कर रहे हो.. सुबह-सुबह ये… तू भी ना राजू…’ कुसुम ने अपनी गाण्ड को धीरे-धीरे से इधर-उधर हिलाते हुए कहा।
जिसे राजू का लण्ड का सुपारा ठीक उसकी गाण्ड के छेद पर जा लगा।
‘आह्ह.. सी..इईईईईई राजू..’ कुसुम एकदम मस्तया गई।
यह देख कर राजू ने झुक कर कुसुम के होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसना चालू कर दिया।
राजू का लण्ड उसकी गाण्ड के छेद पर तना हुआ दस्तक दे रहा था।
कुसुम ने अपने होंठों को राजू के होंठों से अलग करते हुए कहा- ओह्ह.. क्या इरादा है तुम्हारा? कहीं.. अपनी मालकिन की गाण्ड तो नहीं मारनी?
राजू- मैं तो कब से आप से भीख माँग रहा हूँ.. पर आप करने ही नहीं देतीं।
कुसुम- नहीं राजू.. मुझे बहुत डर लगता है… मैंने कभी गाण्ड में किसी का लण्ड नहीं लिया..
तभी दरवाजे पर आहट हुई.. राजू कुसुम के ऊपर से उठ कर नीचे बगल में लेट गया और लता कमरे में दाखिल हुई।
अपनी बेटी और राजू को रज़ाई के अन्दर नंगे देख कर लता के होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई।
‘तुम खुश हो ना यहाँ बेटी?’ लता ने कुसुम की तरफ देखते हुए कहा।
‘हाँ माँ.. मुझे भला यहाँ तुम्हारे रहते हुए क्या परेशानी हो सकती है..’ कुसुम ने भी अंगड़ाई लेते हुए कहा।
लता ने मेज पर चाय रखी और मुड़ कर चली गई।
लता के जाते ही, राजू ने एक बार फिर से कुसुम को अपनी बांहों में भर लिया.. पर कुसुम ने राजू को पीछे हटा दिया, ‘हटो ना रात भर सोने नहीं दिया.. अब तो बस करो।’
यह कह कर कुसुम उठ कर अपने साड़ी पहनने लगी।
राजू भी बेमन से उठा और अपने कपड़े पहन कर चाय पी कर बाहर चला गया।
दूसरी तरफ रतन को आज रज्जो को उसके मायके लेकर जाना था।
रतन के घर वाले इसकी तैयारी कर रहे थे और फिर रतन और रज्जो को तांगें में बैठा कर उसके घर के लिए रवाना कर दिया।
जब रज्जो अपने पति रतन के साथ अपने मायके पहुँची, तो चमेली अपनी बेटी और जमाई को देख कर बहुत खुश हुई.. उसने और उसके पति ने अपने जमाई के बहुत आवभगत की।